Prince Singhal

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फूल वाली

फूल वाली 
                     
लेखक : प्रिन्स सिंहल 

शाम के  6 बज चुके थे। घर जाते हुए अक्सर मैं मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ जाया करता था। उस दिन मेरी नजर फूल बेचने वाली पर पड़ी।  दस बारह  साल की मासूम लड़की, बदन पर मैली सी फ्रॉक और हाथों में फूलों की टोकरी लिए मंदिर पर जाने वाले सभी लोगों के पीछे दौड़ती और कहती, फूल ले लो बाबूजी भगवान पर चढ़ा देना, वह खुश हो जाएंगे। कोई लेता और कोई बिना लिए ही मंदिर चला जाता। फूलवाली को देखकर लगा पढ़ने की उम्र में मासूमियत भगवान की चौखट पर सिर पटक रही है। कौन जाने भगवान किस रूप में आकर उसे कब संभाल ले। तभी एक नौजवान तेजी से चलता हुआ फूलवाली से जा टकराया, फिर कुछ ही क्षण बाद नौजवान मुड़कर आया और उसने मासूम को पकड़ लिया। 
चोरी करती है शर्म नहीं आती।
बाबूजी मैंने कुछ नहीं  चुराया मैं चोर नहीं हूं।
अरे! अभी मेरी जेब से मेरा पर्स निकाल लिया और झूठ भी बोलती है। 
मासूम चीख चीख कर रोने लगी पर उसकी फरियाद सुनने वाला वहां कोई नहीं था। शायद भगवान भी नहीं। तभी नौजवान की नजर फूलवाली की टोकरी पड़ी तो उसने वह छीन ली। 
दिखा इसमें फूलों के नीचे क्या छुपा रखा है।
सभी फूल सड़क पर फैल गए। मासूम और जोर से रोने लगी और बोली . .. .... 
बाबूजी आज मेरी छोटी बहन का जन्मदिन है। सोचा था, शाम को जो पैसे आएंगे उनसे उसके लिए कुछ ले जाऊंगी, इसलिए आज सुबह से ही हमने रोटी नहीं खाई थी। वह बदनसीब भी मेरे इंतजार में आज सुबह से ही भूखी होगी। 
तभी नौजवान का ड्राइवर  वहां आया  और जेब से पर्स निकालकर उसे देते हुए कहने लगा  .......
यह लो साहब आपका पर्स गाड़ी में ही रह गया था। इतना सुनते ही वहां इकट्ठा सभी लोगों की नजर  उन पर आ टिकी, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बोला।  मैं भी ना जाने  क्या सोच कर  कुछ नहीं बोल पाया और फूल वाली भी  अपनी गिरी हुई रोटियां  उठाकर टोकरी में रखते हुए वहां से रोती हुई चली गई ।

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2 Comments

Babita patel

02-Jul-2024 09:05 AM

V nice

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Prince Singhal

02-Jul-2024 04:18 PM

Thanks

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